मजबूर पर उससे भी ज्यादा मज़बूत इरादों वाले बाप की कहानी – चिंटू का बर्थडे

This content is contributed by Renowned Media Personality Vikram Parihar

रिव्यु देने के परंपरा शुरू करने से पहले एक छोटी सी जानकारी आप लोगों तक पंहुचा देना चाहता हूँ। आज जब मैं ये रिव्यु रहा हूँ इस फिल्म IMDB रेटिंग है 8.4 यानि जोकर ,अवेंजर्स एन्ड गेम , आनंद , ३ इडियट्स ,दंगल आदि फिल्मों के आसपास या बराबर। बाद में चाहे रेटिंग कहीं भी जाए पर आज इसने दिल जीत ही लिया। अब बढ़ते है आगे, 18 दिन में बनकर तैयार हुई ये फिल्म देश दुनिया में काफी तारीफें बटोर चुकीं है। फिल्म के प्रोडूसर्स का नाम अगर #metoo लहर में नहीं आता तो शायद हालत कुछ और बेहतर होते।

चलिए कोई ना , तो इस फिल्म को लिखा और डायरेक्ट किया है दिवांशु और सत्यांशु ने और प्रोड्यस किया है तन्मय भट्ट , रोहन जोशी ,आशीष शाक्य और गुरसिमरन खम्बा ने. दिवांशु और सत्यांशु ने अपनी ही लिखी कहानी के साथ पूरा न्याय किया है। एक ही घर की शूट में ये आपको यहीं दिला देंगे की आप बगदाद में शूट हुई एक फिल्म देख रहे है जहाँ दरवाज़े से बाहर सिर्फ डर का माहौल और गोली बंदूकों का शोर है।

ये कहानी है 2004 की जब अमेरिका ने इराक पर हमला किया और जंग की इस मुश्किल घडी में एक हिंदुस्तानी परिवार वहां फस जाता है। और ऐसे माहौल में आता है बर्थडे चिंटू (विनीत छिब्बर ) का। पिता मदन तिवारी के रोल में विनय पाठक का काम बेहतरीन है। हमारे एक मित्र कहा करते थे , माँ आपके लिया साड़ी दुनिया से लड़ जाती है , पर जो आपके लिए अपने आप से लड़ जाए वो बाप. ये मत कर वरना पापा डांटेंगे , बेचारे पिता जीवन बार इसी टैग के साथ जीते है। खैर तो विनय पाठक जो पिता बने है इस फिल्म में आपको बेहद पसंद आने वाले है। एक प्यारी माँ (तिलोत्तमा शोम ) एक बहना (बिषा चतुर्वेदी ) और नानी (सीमा भार्गव ) के लादले चिंटू के बर्थडे की कहानी में वो सब है जो और आम मिडिल क्लास बच्चे के बर्थडे में होता है। एक केक , केक के ऊपर टॉफिस से भरा गुब्ब्बरा , जैसे तैसे हुई घर की डेकोरेशन , किचन में मेहनत करती माँ , स्कूल की टॉफ़ी और घर में बच्चा पार्टी की तैयारी करता बाप और हाँ पैसे ना होने की मजबूरी, सब साथ चलती है। ऐसे में अगर २ अमेरिकी सिपाही में घर में मेहमान बन आये तो कहानी कैसे मोड़ लेते है वही सब है इस मूवी में।
म्यूजिक का बेहतरीन कामकिया है ,नरेन् चंदवरकर और राधिका आप्टे के पतिदेव बेनडिक्ट टेलर ने जिनका काम आप घूल , लाल कप्तान ,गुडगाँव और newton में सुन चुके है। पर साउंड के काम को जिस बेहतरी बीस्वदीप चटर्जी जी ने किया है किया है वो कमाल है। संजय मिश्रा भी आपको इस फिल्म में सुनाई देंगे, कहाँ वो आप खुद देख के पता लगाए.

तो मेरी तरफ से ये मूवी ज़रूर देखि जानी चाहिए , और पसंद आये तो हमारे Instagram पर DM ज़रूर करें ।

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